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लेखनी प्रतियोगिता -08-Nov-2023सरिता सन्देश

सरिता संदेश

 जीवन की अनवरत बहती है नदी,
 कल-कल निनाद से कहती है नदी।

 ठहर मत राही चलता चल तू,
 दीपक की मानिंद जलता चल तू।

 असंख्य दुख सहता है जीवन ,
समय औषधि जाता है बन।

कहता है सरिता का मधुर संगीत,
 सुख -दुख है जीवन की रीत।

 जैसे नदी बहती है बिन रुके,
  चुनौतियों के समक्ष कभी नहीं झुके।

 नदी को तनिक विश्राम की आस नहीं,
 थकन  का तनिक आभास नहीं।

 नदी को हर क्षण बहना ही है ,
प्रस्तरों का सानिध्य सहना ही है।

 मृदु व्यवहार की उसे चाह नहीं ,
आसान सरल जीवन राह नहीं ।

पथिक की प्यास बुझाता शीतल जल,
 तरु को नव जीवन दे यह वारि विमल।

 यह जल मानो चंद्रिका धवल,
 संगीतमयी है इसकी  कल- कल।

 असंख्य कठिनाइयों से पूरित है मग,
 किंतु कब घबराए हृदय विहग।

प्रेम सुधा से पूर्ण नदी का आँचल,
मानो ग्रीष्म में शीतल बादल।

 कर्म पथ पर रहती है अग्रसर ,
इसका जल मधु से मधुकर।

अनवरत बहती है जीवन की नदी ,
लम्हा लम्हा मिलकर बन जाता सदी।

कभी हर्षोल्लास का उत्सव है जीवन,
 कभी करुण क्रंदन मानो त्रासदी।

 प्रकृति प्रदान करती हर वस्तु सुंदर,
 दुनियादारी में निहित हैं नेकी बदी।

परहित के लिए धारण करो निज वेश,
देती नदी यह अमूल्य जीवन संदेश।

प्रीति चौधरी (मनोरमा)
 जनपद बुलंदशहर
 उत्तर प्रदेश
 मौलिक एवं अप्रकाशित

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4 Comments

Gunjan Kamal

09-Nov-2023 12:27 AM

👌👏

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Zakirhusain Abbas Chougule

08-Nov-2023 10:35 PM

Nice

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Punam verma

08-Nov-2023 06:34 AM

Nice👍👍👍

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